पश्चिम के मुकाबले भारत में स्‍ट्रोक से मृत्‍यु दर चार गुना अधिक

पश्चिम के मुकाबले भारत में स्‍ट्रोक से मृत्‍यु दर चार गुना अधिक

सेहतराग टीम

ब्रिटेन के विद्वानों द्वारा कराए गए एक अध्ययन के अनुसार भारत में मस्तिष्काघात यानी स्‍ट्रोक से मौत के मामले पश्चिमी देशों की तुलना में चार गुना अधिक हैं और दिल से जुड़ी बीमारियों से लोगों के मरने की दर करीब तीन गुना ज्यादा है।

विश्लेषण में यह भी पता चला कि भारतीयों में गर्भाशय कैंसर से मौत के मामले पश्चिमी देशों के लोगों की तुलना में छह गुना अधिक हैं। पश्चिमी देशों की तुलना में मधुमेह से मृत्यु की दर भी भारत में तीन गुना अधिक है। 

इस सप्ताह ‘ नेचर ’ पत्रिका में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार कैंसर, हृदयरोग और मस्तिष्काघात जैसी बीमारियां विकसित देशों की तुलना में विकासशील देशों में अधिक घातक हैं।

इंपीरियल कॉलेज लंदन में स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के प्रमुख अध्ययनकर्ता प्रोफेसर माजिद एजाती ने कहा, ‘भारत में कैंसर, हृदय और गुर्दा रोगों तथा मधुमेह जैसी गंभीर बीमारियों की जल्द रोकथाम, जल्द निदान और इलाज की दिशा में स्वास्थ्य सेवा योजनाएं बुनियादी तौर पर बदली जानी चाहिए। ये रोग भारत में रोगियों की संख्या, मौत के मामलों और आर्थिक नुकसान की सबसे बड़ी वजह हैं।’ 

प्रोफेसर एजाती के साथ डॉक्‍टर जेम्स बेनेट ने भी इस अध्ययन में भाग लिया। इसमें यह बात भी सामने आई कि कम और मध्यम आय वाले ऊष्णकटिबंधीय देशों में गैर - संक्रामक रोगों (एनसीडी) से मौत के मामले पश्चिमी देशों के मुकाबले ज्यादा हैं।

गौरतलब है कि भारत में करीब 7 करोड़ लोग टाइप टू डायबिटीज से पीडि़त हैं और इसलिए हमारे देश को अब विश्‍व की मधुमेह राजधानी की संज्ञा भी दी जा रही है। खासबात ये है कि पहले मधुमेह को सिर्फ खाते-पीते अघाए और संपन्‍न तबके की बीमारी माना जाता था मगर अब ये स्थिति बदल चुकी है और मध्‍य वर्ग तथा निम्‍न मध्‍य वर्ग में भी ये बीमारी तेजी से घर कर रही है।

Disclaimer: sehatraag.com पर दी गई हर जानकारी सिर्फ पाठकों के ज्ञानवर्धन के लिए है। किसी भी बीमारी या स्वास्थ्य संबंधी समस्या के इलाज के लिए कृपया अपने डॉक्टर की सलाह पर ही भरोसा करें। sehatraag.com पर प्रकाशित किसी आलेख के अाधार पर अपना इलाज खुद करने पर किसी भी नुकसान की जिम्मेदारी संबंधित व्यक्ति की ही होगी।